हमारी यात्रा – भारत पेट्रोलियम की कहानी

भारत पेट्रोलियम की समृद्ध इतिहास को जानिए – भारत की ‘सबसे सफल’ महा-रत्न सार्वजनिक उपक्रम कंपनी। यह कंपनी भारत में सिर्फ तेल और गैस कंपनी से आगे बढ़कर आज फॉर्च्यून 500 में शामिल एक बड़ी ऑयल रिफाइनिंग, खोज और मार्केटिंग कंपनी बन गई है।

पुराने समय में जब दुनिया में नए-नए तेल के भंडार खोजे जा रहे थे, तब जॉन डी. रॉकफेलर और उनके साथियों ने कई रिफाइनरी और पाइपलाइन अपने नियंत्रण में ले लीं और ‘स्टैंडर्ड ऑयल ट्रस्ट’ नाम की विशाल कंपनी बनाई।

इसका मुकाबला करने के लिए उस समय की तीन बड़ी कंपनियाँ – रॉयल डच, शेल और रोथ्सचाइल्ड – एक साथ आईं और एशियाटिक पेट्रोलियम नाम की कंपनी बनाई, जो दक्षिण एशिया में पेट्रोलियम उत्पाद बेचने लगी।

1928 में, एशियाटिक पेट्रोलियम (इंडिया) ने बर्मा ऑयल कंपनी के साथ साझेदारी की। यह कंपनी भारत और बर्मा के बाज़ार में पेट्रोलियम उत्पाद बनाती, रिफाइन करती और बेचती थी। इस साझेदारी से बर्मा-शेल ऑयल स्टोरेज एंड डिस्ट्रीब्यूटिंग कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना हुई।

A pioneering approach

अग्रणी दृष्टिकोण

बर्मा शेल ने अपना काम केरोसिन आयात और बेचने से शुरू किया और जल्दी ही कई तरीकों से खुद को एक अगुआ साबित किया। कंपनी तेल उत्पादों को बड़े पैमाने पर लाती थी और उन्हें 4 गैलन और 1 गैलन के डिब्बों में भरकर पूरे भारत में पहुँचाती थी।

कंपनी ने यह चुनौती भी स्वीकार की कि दूर-दराज़ के गाँवों तक पहुँचकर हर घर में मिट्टी का तेल (केरोसिन) पहुँचे। इसी कारण, रोशनी और खाना बनाने के लिए बेहतर केरोसिन वाले उपकरण बनाना और उन्हें बढ़ावा देना, कंपनी की बिक्री का अहम हिस्सा बन गया।

अपनी अग्रणी सोच दिखाते हुए, कंपनी ने 1950 के दशक के बीच में भारतीय घरों में एलपीजी को खाना बनाने के ईंधन के रूप में पेश किया। यहीं से शुरू हुआ कंपनी का शानदार सफर, जिसमें पेट्रोलियम बेचने से आगे बढ़कर ग्राहकों को जागरूक करना, उन्हें बेहतर सेवा और उत्पाद उपलब्ध कराना शामिल था।

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The Retail Revolution

खुदरा कारोबार में क्रांति

भारत का पहला ड्राइव-थ्रू फ्यूल स्टेशन 1928 में बनाया गया था। तब से लेकर आज तक हमारे देशभर में 20,000 से ज्यादा फ्यूल स्टेशन हो चुके हैं, जहाँ रोज़ाना करीब 1 करोड़ गाड़ियाँ ईंधन भरवाती हैं।

भारत पेट्रोलियम ने ईंधन बिक्री को नया रूप देने के लिए कई खास पहल शुरू कीं – जैसे Pure for Sure (शुद्ध ईंधन की गारंटी), प्रीमियम पेट्रोल और डीज़ल, शहरी और परिवहन लॉयल्टी प्रोग्राम, In & Out सुविधा स्टोर इत्यादि।

युद्ध के बाद, बर्मा शेल ने अपने ग्राहकों को बेहतरीन सुविधा देने के लिए आधुनिक और बेहतर फ्यूल सर्विस स्टेशन और फिलिंग स्टेशन बनाए।

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From the ground to the sky

ज़मीन से आसमान तक

भारत में एविएशन फ्यूल (हवाई जहाज़ का ईंधन) की कहानी बर्मा शेल से शुरू हुई, जो बाद में BPCL बनी। बीसवीं सदी की शुरुआत में हवाई ईंधन बैलगाड़ियों से ढोया जाता था, और सदी के अंत तक आधुनिक हाइड्रेंट सिस्टम शुरू हो गए। हमारी एविएशन यात्रा एक के बाद एक मील का पत्थर पार करती गई, जो पुराने समय की शान से जुड़ी हुई है। आइए, इस शानदार सफर का आनंद लीजिए और समय के साथ उड़ान भरिए।

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The Birth of a Titan

एक दिग्गज का जन्म

24 जनवरी 1976 को एक नया दौर शुरू हुआ, जब 100% सरकारी कंपनी ‘भारत रिफाइनरीज़ लिमिटेड’ ने भारत में बर्मा शेल के सभी कारोबार अपने हाथ में ले लिए। इसमें देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी और पूरे भारत में फैला मार्केटिंग नेटवर्क शामिल था। बाद में ‘भारत रिफाइनरीज़ लिमिटेड’ का नाम बदलकर ‘भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ रखा गया।

उसी दिन, 24 जनवरी 1976 को अखबारों में भारत रिफाइनरीज़ लिमिटेड ने एक विज्ञापन जारी कर देश को नई भावना और समर्पण के साथ पहली शुभकामनाएँ दीं।

तस्वीर में माननीय पेट्रोलियम मंत्री श्री के. डी. मालवीय इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दिखाए गए हैं।

Bharat Petroleum selects new logo on 18th November 1977

भारत पेट्रोलियम ने 18 नवंबर 1977 को नया लोगो चुना

तेल की वह सुनहरी बूँदें – यही आमतौर पर भारत पेट्रोलियम का लोगो मानी जाती हैं। लेकिन इस खास चिन्ह की उत्पत्ति हमें कई सदियों पहले की प्राचीन चीनी सभ्यता तक ले जाती है, जहाँ एक समान डिज़ाइन स्वर्ग, मनुष्य और पृथ्वी की मौलिक शक्तियों का प्रतीक था।

चीनी दृष्टि में, TAO की सभी अभिव्यक्तियाँ दो विपरीत शक्तियों – यिन (Yin) और यांग (Yang) – के बीच की गतिशील क्रिया से उत्पन्न होती हैं। यह विचार बहुत पुराना है और कई पीढ़ियों ने यिन और यांग के प्रतीकों पर काम किया। यिन और यांग का मतलब है छाया और सूर्य, जो चीनी विचारधारा का मूल बन गया।

इसलिए TAO का मतलब है – जो पहले अंधेरा दिखाता था, अब वह प्रकाश भी आने देता है – यानी यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। ये दो विपरीत ताकतें, उजाला और अंधेरा, पुरुष और महिला, मजबूत और लचीला, ऊपर और नीचे को भी दर्शाती हैं।

यांग प्रतीक है – प्रकाश, शक्ति, पुरुष, दृढ़ता, सृजन और स्वर्ग का, जबकि यिन प्रतीक है – अंधेरा, ग्रहणशीलता, महिला और पृथ्वी का। स्वर्ग ऊपर है और गतिशील, पृथ्वी नीचे और स्थिर – इसलिए यांग गतिशीलता का प्रतीक है और यिन स्थिरता का।

विचार के क्षेत्र में, यिन जटिल है (महिला की सहज बुद्धि) और यांग तार्किक है (पुरुष की बुद्धि)। यिन शांत और ध्यानमग्न अवस्था है, जबकि यांग शक्ति और रचनात्मक क्रिया है। यिन और यांग की यह गतिशीलता प्राचीन चीनी प्रतीक Tai-chi T'u या ‘सुप्रीम अल्टीमेट का आरेख’ में दिखाई जाती है। इस आरेख में अंधेरा यिन और प्रकाश यांग दिखता है, लेकिन इसका संतुलन स्थिर नहीं है। यह घूमती हुई समरूपता दिखाता है, जो लगातार चक्रीय गति को दर्शाती है।

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